हनुमान चालीसा से जुड़े हुए कुछ सामान्य प्रशन्न

 

हनुमान चालीसा से जुड़े हुए कुछ सामान्य प्रशन्न 

नीचे हनुमान चालीसा से जुड़े कुछ सामान्य प्रश्नो के उतर दिए गए हैं जिनको आप जान न चाहते हैं आशा हैं की इनको पढ़ने से श्री हनुमान चालीसा से जुड़ी आपकी सारी शंका दूर हो जाएंगी।

1. हनुमान चालीसा का पाठ कितने बजे करना चाहिए?

हनुमान चालीसा को सुबह सूर्योदय के पहले यानि कि सुबह 4:00 बजे पढ़ना चाहिए, ऐसा करने से आप पूरा दिन अच्छा जाता है।

2. हनुमान चालीसा का मंत्र क्या है?

श्री हनुमान चालीसा की हर चौपाई अपने आप में एक शक्तिशाली मंत्र है। हनुमान चालीसा में कुल 40 मंत्र है।

3. हनुमान चालीसा का पाठ कैसे किया जाता है?

श्री हनुमान चालीसा का पाठ करने का सबसे अच्छा तरीका सुबह 4 :00 बजे नहा-धो कर सुद्ध आत्मा से हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

4. सात बार हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या होता है?

श्री हनुमान चालीसा को 7 बार पाठ करने से आपको हर प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिलती है। हनुमान चालीसा का 7 बार जाप करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं और हनुमान जी कृपा बानी रहती है।

5. हनुमान चालीसा 1 दिन में कितनी बार पढ़ना चाहिए?

हनुमान चालीसा एक दिन में कम से कम ३ बार तो पढ़नी ही चाहिए और 7 बार पढ़ते हैं तो श्री हनुमान जी की कृपा आप पर बानी रहेगी।

6. क्या मैं सोते समय हनुमान चालीसा सुन सकता हूं?

जी हां बिलकुल सुन सकते हैं बल्कि सोते समय हनुमान चालीसा सुन ने से और तकिये के निचे रखने से बुरे और डरावने सपने भी नहीं आते।

7. हनुमान चालीसा में कितनी शक्ति है?

श्री हनुमान चालीसा सबसे शक्तिशाली मंत्र हैं। कलयुग में सिर्फ हनुमान चालीसा का नियमित पाठ ही आपको सभी कष्टों से मुक्ति दिला सकती हैं।

8. हनुमान चालीसा कितने दिनों में सिद्ध हो जाती है?

हनुमान चालीसा को सिद्ध करने के लिए आपको हनुमान चालीसा को पाठ 21 दिन तक लगातार करना होगा और 21 वे दिन 108 बार हनुमान चालीसा का जाप कर के हनुमान जी के मंदिर जाए और हनुमान जी के दर्शन करे।

9. हनुमान चालीसा कितने मिनट का है?

हनुमान चालीसा लगभग १० मिनट्स में पूरा होता हैं , लेकिंग आप समय के हिसाब से थोड़ा जल्दी भी पाठ कर सकते हैं लेकिन ध्यान रहे की शब्दो का उच्चारण स्पष्ट हो।

10. हनुमान चालीसा में 3 दोहे कौन कौन से हैं?

दोहा- 1
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥

दोहा- 2
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार ।
बल बुधि विद्या देहु मोहिं हरहु कलेस विकार ॥

दोहा- 3
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥






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