- तेजा गायन गाज्यौ-गाज्यौ जेठ'र आषाढ़ कँवर तेजा रॅ
- लगत ही गाज्यौ है सावण-भादवो
- सूतो-सूतो सुख भर नींद कँवर तेजा रॅ
- थारोड़ा साहिना बीजॅं बाजरो। उठ्यो-उठ्यो पौर के तड़कॅ कुँवर तेजा रॅ
- माथॅ तो बांध्यो हो धौळो पोतियो
- हाथ लियो हळियो पिराणी कँवर तेजा रॅ
- बॅल्यां तो समदायर घर सूं नीसर्यो
- काँकड़ धरती जाय निवारी कुँवर तेजा रॅ
- स्यावड़ नॅ मनावॅ बेटो जाटको।
- भरी-भरी बीस हळायां कुँवर तेजा रॅ
- धोळी रॅ दुपहरी हळियो ढाबियो
- धोरां-धोरां जाय निवार्यो कुँवर तेजा रॅ
- बारह रॅ कोसां री बा'ई आवड़ी।।
- भावज थासूं विनती कठै लगाई जेज।।
- मण को रान्दियो खाटो खीचड़ो।
- लीलण खातर दल्यो दाणों कँवर तेजा रॅ
- साथै तो ल्याई भातो निरणी।
- दौड़ी लारॅ की लारॅ आई कँवर तेजा रॅ
- म्हारा गीगा न छोड़ आई झूलै रोवतो।
- ऐहड़ा कांई भूख भूखा कँवर तेजा रॅ
- थारी तो परण्योड़ी बैठी बाप कॅ
- ऐ सम्हाळो थारी रास पुराणी भाभी म्हारा ओ
- अब म्हे तो प्रभात जास्यां सासरॅ
- हरिया-हरिया थे घास चरल्यो बैलां म्हारा ओ
- पाणिड़ो पीवो नॅ थे गण तळाव रो।
गड पनेर पड़ॅ ससुराल कँवर तेजा रॅ
- रायमल जी री पेमल थारी गौरजां
- पाछै तो सिधारो थारॅ सासरॅ।।
डांई-डांई आँख फरुखे नणदल बाई ये
- डांवों तो बोल्यो है कंवलो कागलो
- कॅ तो जामण जायो बीरो आसी बाई वो
- कॅ तो बाबो सा आणॅ आवसी
- मायड़ तो म्हानॅ लेबानॅ भेज्यो
- चार दिना की मिजमानी घणा दिनासूं आया
- राखी री पूनम नॅ पाछा भेजस्यां
- सीख जल्दी घणी देवो सगी म्हारा वो
- म्हानॅ तो तीज्यां पर जाणों सासरॅ
- हरक बधायं बँट रही बड़े प्रेम के साथ
- धोळी तो दिखॅ तेजा देवली
- सावण भादवा थारॅ भार कंवर तेजा रॅ
- पाछॅ तो जाज्यो सासरॅ
- तीजां पहल्यां पूगणों नगर पनेरा ठेठ
- सिंह नहीं मोहरत समझॅ जब चाहे जठै जाय
- तेजल नॅ बठै रुकणुं जद शहर पनेर आय
- आशीष देवूं कुलदीपक म्हारारै
- बेगा तो ल्याज्यो पेमल गोरड़ी
- बारै भीगे बेटो जाट को
- कुंची तो लेगी पेमल गोरजां
- साथै तो ले जावो झूलो झूलरो
हाथां मेहंदी लगी है सायब म्हारा वो
- दागां तो लागेला धोळी धोतियाँ
- म्हारी गायां तो लेगा रै मीणा चोरडा.
- म्हारी गायां जल्दी ल्यावो थे तो जीजा वो,
- भूखा तो अरड़ावे छोटा कैरड़ा .
- क्षत्रिय थारो धर्म कँवर तेजा रै,
- गौरां मैं अरड़ावे बाळक बाछड़ा.
- झगडा री बैल्या मैं घोड़ी थामस्युं.
- पग-पग कालो नाग, मति सिधारो नाथ
शूरा मत कर माथा फोड़ी, पाछी फेरल्यो थारी घोड़ी
- घर मैं बाट देख रही गौरी, आ जिंदगानी है थोड़ी
ओ थारो केरड़ो संभालो लाछा गूजरी
- तेजल ने जाणों है आगे आसरै
- आई ज्योंही पाछी मुड़ज्या लीलण म्हारी ए
- बचना रो बांध्योड़ो बदलो चुकस्याँ
- सासु सुसरा न दीजै राम जुवारी
- पेमल न दीजै मेमद मोलियो
- अठै देखी ज्यों कह दीजै पेमल न
- घडी रै पलक रो तेजो पावनों
- "लीलन तू धन्य है. आज तक तूने सुख-दुःख में मेरा साथ निभाया. मैं आज हमेशा-हमेशा के लिए तुम्हारा साथ छोड़ रहा हूँ. तू खरनाल जाकर मेरे परिवार जनों को आँखों से समझा देना."
- माँ न प्रणाम कर सांचोडा समाचार बतला दीजै
- काका, बाबा न प्रणाम कीजै हाथ जोड़
- भाई न भौजायाँ कीजै निमणूं
- बाई राजल न धीरज दे हाथ फेरणां
तेजाजी ने कहा नागराज मुझे वचन चूक मत करो. अपने वचन को पूरा करो. मेरे हाथ की हथेली व जीभ कुंवारी हैं, मुझे डसलो.
बालू नाग नतमस्तक हो गया और बोला -
- 'धन्य है तेजा तुम्हारे माता-पिता, धन्य है तुम्हारी शूरवीरता और प्राण. आज कालिया हार गया और धौलिया जीत गया.
तेजाजी के बलिदान का समाचार सुनकर पेमल के आँखों के आगे अँधेरा छा गया. उसने मां से सत का नारियल माँगा, सौलह श्रृंगार किये, परिवार जनों से विदाई ली और सुरसुरा जाकर तेजाजी के साथ सती हो गई.
पेमल जब चिता पर बैठी है तो लीलण घोडी को सन्देश देती है कि सत्य समाचार खरनाल जाकर सबको बतला देना.
- सुसराजी न पावां धोक कह दीजै
- सासुजी न कीजै पगां लागणा
- बाई राजल न दीजै रिमझिम बोलणी
- मन मैं रहगी सासुजी की पोल देखती
- परण्यो जातो निजरां देखती
- भाया रै उतरता भादुडा री नवमी की रात जगायज्यो
- दसम न धोकज्यो धौल्या री देवली
- काच्चा दूध को भोग लगाज्यो
- थारा मन पसंद कारज सिद्ध होसी
- आ ही म्हारी अमर आशीष है
कैयां आई बिरंगो लीलण म्हारी ए
कठोड़ै छोड्यो है देवर लाडलो
- देवर थारो वीर गति पाई है
- सती तो होगी है पेमल जाटणी कलयुग के इतिहास में घोड़ी का मुंह बोलना पहला उदाहरन है जय वीर तेजा जी
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