लक्ष्मी जी की सवारी उल्लू क्यों है
कार्तिक अमावस्या के दिन सभी पशु-पक्षी आंखे बिछाए लक्ष्मीजी की राह देखने लगे रात में जैसे ही लक्ष्मीजी धरती पर आयी|
उल्लू ने अंधेरे में अपनी नजरों से उन्हें देख लिया और उनके पास पहुंच गया।
इसके बाद उल्लू लक्ष्मी जी से प्रार्थना करने लगा कि वो उसे ही अपना वाहन चुन लें।
लक्ष्मीजी ने चारों ओर देखा उन्हें कोई भी पशु या पक्षी नजर नहीं आया क्योंकि उल्लू को रात में भी दिखाई देता है|
उल्लू के इन गुणों से प्रसन्न हो कर माता लक्ष्मी ने उसे अपनी सवारी के रूप में चुन लिया तो उन्होंने उल्लू को अपना वाहन स्वीकार कर लिया।
तभी से लक्ष्मी जी को उलूक वाहिनी कहा जाने लगा।
उल्लू, जिसके बारे में मान्यता है कि उल्लू की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, उल्लू सबसे बुद्धिमान प्राणी होता है.|
उल्लू को भूत और भविष्य के बारे में पहले से ही ज्ञात हो जाता है|
. माता लक्ष्मी की सवारी उल्लू को शुभता और धन संपत्ति का प्रतीक माना जाता है|
. दीपावली की रात में उल्लू को देखना लक्ष्मी जी के आने की सूचना मानी जाती है|.
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