वृन्दावन का प्रसिद्द प्रेम मंदिर
इसका निर्माण जगद्गुरु कृपालु महाराज द्वारा भगवान कृष्ण और राधा के मन्दिर के रूप में करवाया गया है। यह मंदिर रसिक संत जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की तरफ से कान्हा की नगरी वृन्दावन को तोहफ़ा था।
प्रेम मंदिर की सुन्दरता देखते ही बनती है यह इतना सुन्दर है के प्रेम मंदिर को देखते आप को मंदिर से प्रेम हो जायेगा।
प्रेम मंदिर खुलने का समय
5:15 a.m. – जागरण पद
6:30 a.m. – भोग अर्पण करना और गीत गाना
8:30 a.m. – दर्शन और आरती 11:45 a.m.- आरती
12:00 p.m – पट बंद
4:30 p.m. – दर्शन और आरती
5:30 p.m. – भोग चढ़ाना और गीत गाना
7:00 p.m. – Lighted म्यूजिकल फाउंटेन का प्रदर्शन
8:00 p.m. – आरती
8:15 p.m. – शयन पद
8:30 p.m. – बंद करने का समय
प्रेम मंदिर का इतिहास
इस मन्दिर का शिलान्यास 24 जनवरी 2001 को कृपालुजी महाराज द्वारा किया गया था। ग्यारह वर्ष के बाद तैयार हुआ यह भव्य प्रेम मन्दिर सफेद इटालियन करारा संगमरमर से तराशा गया है। इसका उदघाटन समारोह 2012 में 15 फरवरी से 17 फरवरी तक चला था।
प्रेम मंदिर ( Prem Mandir ) का नजारा इतना अद्भुत है कि इसे देखकर कोई भी राधे-राधे कहे बिना नहीं रह सकता। इसकी अलौकिक छटा भक्तों का मन मोह लेती है।
मंदिर परिसर में राधा कृष्णा के सामने बैठने की भी व्यवस्था है जहा आप बैठ कर मन को उनके चरणों में एकाग्र कर सकते है।
यह मन्दिर वास्तुकला के माध्यम से दिव्य प्रेम को साकार करता है। सभी वर्ण, जाति, देश के लोगों के लिये खुले मन्दिर के लिए द्वार सभी दिशाओं में खुलते है। यहां की दीवारों पर हर तरफ राधा-कृष्ण की रासलीला वर्णित है।
कुब्जा-उद्धार, कंस-वध, देवकी-वसुदेव की कारागृह से मुक्ति, सान्दीपनी मुनि के गुरुकुल में जाकर कृष्ण-बलराम का विद्याध्ययन, रुक्मिणी-हरण, सोलह हजार एक सौ आठ रानियों का वर्णन, नारद जी द्वारा श्रीकृष्ण की गृहस्थावस्था के दर्शन
श्रीकृष्ण का अपने अश्रुओं द्वारा सुदामा के चरण पखारना, सुदामा एवं उनके परिवार का एक रात्रि में काया-पलट, कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण का गोपियों से पुनर्मिलन, रुक्मिणी आदि द्वारिका की रानियों का श्रीराधा एवं गोपियों के साथ मिलन, श्रीकृष्ण द्वारा उद्धव को अंतिम उपदेश एवं दर्शन तत्पश्चात स्वधाम-गमन आदि लीलाएं भी चित्रित की गई हैं।
मंदिर के अंदर प्रवेश करने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है और प्रवेश सभी के लिए पूरी तरह से नि: शुल्क है। पूरे मंदिर को कवर करने के लिए कम से कम दो घंटे की आवश्यकता है
मंदिर परिसर में प्रवेश करते है आपको राजस्थानी शिल्पकारी की झलक मंदिर की दीवारों में नजर आने लगेगी।
पूरे मंदिर की बाहरी दीवारों पर श्रीराधा-कृष्ण की लीलाओं को शिल्पकारों ने मूर्त रूप दिया गया है। ये मंदिर वृंदावन की एक अद्वितीय आध्यात्मिक संरचना है. इस मंदिर के ध्वज को मिलाकर इसकी ऊँचाई 125 ft. है
जिसमे 190 ft.लम्बा और 128 ft. चौड़ा चबूतरा है. मंदिर के चबूतरे पर एक परिक्रमा मार्ग का निर्माण किया गया है. जिसके द्वारा श्री कृष्ण राधा की लीलाओं के 48 स्तंभों की खूबसूरती का दृश्य देखा जा सकता है
जिनका निर्माण मंदिर की बाहरी दीवारों पर किया गया है. मंदिर की दीवारे 3.25 ft. मोटी है. मंदिर की गर्भ गृह की दीवार की मोटाई 8 ft है जिस पर एक विशाल शिखर, एक स्वर्ण कलश और एक ध्वज रखा गया है.
मंदिर की बाहरी परिसर में 84 स्तंभ है जो श्री कृष्ण की लीलाओं को प्रदर्शित करते है जिनका उल्लेख श्रीमद भगवद में किया गया है.
ये मंदिर वृंदावन की एक अद्वितीय आध्यात्मिक संरचना है.मंदिर में लगाये गये पैनल को श्रीमद् भगवत गीता से लिया गया है।
इस मंदिर के ध्वज को मिलाकर इसकी ऊँचाई 125 ft. है जिसमे 190 ft.लम्बा और 128 ft. चौड़ा चबूतरा है. मंदिर के चबूतरे पर एक परिक्रमा मार्ग का निर्माण किया गया है. जिसके द्वारा श्री कृष्ण राधा की लीलाओं के 48 स्तंभों की खूबसूरती का दृश्य देखा जा सकता है जिनका निर्माण मंदिर की बाहरी दीवारों पर किया गया है
मंदिर की दीवारे 3.25 ft. मोटी है. मंदिर की गर्भ गृह की दीवार की मोटाई 8 ft है जिस पर एक विशाल शिखर, एक स्वर्ण कलश और एक ध्वज रखा गया है. मंदिर की बाहरी परिसर में 84 स्तंभ है जो श्री कृष्ण की लीलाओं को प्रदर्शित करते है जिनका उल्लेख श्रीमद भगवद में किया गया है
प्रेम मंदिर की दिव्यता
जैसे ही आप मंदिर परिसर में पहुँचते है तो आप को एक अलग सा प्रतीत होता है चारों तरफ राधा कृष्णा और उनकी दिव्य छवियाँ आकर्षित करती है जहां उनके बचपन के बारे में दर्शया गया है, माँ यशोदा नंद बाबा, ग्वाल बाल, सखियों के साथ अद्भुत प्रतिमाये है ।
इतना ही नहीं श्री कृष्ण भगवान की गोपियों के साथ रासलीला करते हुए और जब बाल कृष्ण ने गोवर्धन को अपने कनिष्ठ उंगली पर उठाया था और सभी ब्रज वासियो की इंद्र भगवन के कोप से रक्षा की थी उसकी भी अद्भुत दृश्य को दर्शया गया है।
यहां संगमरमर की चिकनी स्लेटों पर ‘राधा गोविंद गीत’ के सरल व सारगर्भित दोहे प्रस्तुत किए गए हैं, जो भक्तियोग से भगवद् प्राप्ति के सरल व वेदसम्मत मार्ग प्रतिपादित करते हैं।
प्रेम मंदिर देखने का रोमांच रात में कई गुना अधिक बढ़ जाती है। रात में मंदिर की रंग बिंरंगी रौशनी से नहाया हुआ मंदिर अधभुत्त होता है !
मंदिर परिसर में रोज शाम को करीब आधे घंटे का फाउंटेन शो भी होता है !
प्रेम मंदिर मथुरा में मनाये जाने वाले उत्सव
मथुरा के प्रेम मंदिर हर साल जन्माष्टमी और राधाष्टमी त्योहारों को बड़े ही उत्साह और धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस खास मौके पर देश के विभिन्न शहरों से भक्त मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं और मंदिर में होने वाले इन पवित्र समारोह में भाग लेते हैं।
प्रेम मंदिर की यात्रा फरवरी / मार्च के समय भी की जा सकती है क्योंकि यह अपने होली समारोह के लिए भी प्रसिद्ध है।
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