नागौर
के खरनाल में वीर तेजाजी की बहिन बुंगरी माता का मंदिर....एक बहिन जिसने
अपने भाई के बलिदानी होने पर अपने भी प्राण त्याग दिए थे ....यह भारतीय
इतिहास में एक अनूठा उदाहरण है .....खरनाल में तेजाजी के मंदिर से कुछ ही
दूरी पर लाल माटी की पाल के बीच तालाब के किनारे खेजड़ी को ओट लिए बुंगरी
माता का मंदिर ....भाई बहिन के प्यार की गाथा आज भी उसी लय में सुनाता है
.तेजाजी की एक ही बहिन थी राजल बाई . . जिन्होने लीलण द्वारा तेजाजी के
बलिदान की खबर सुनकर बकरियां चराते हुए नायक जाति की एक किशोरी के साथ ही
अपने प्राण त्याग दिये थे . . आज उस जगह पर उस नायक कन्या का भी चबुतरा है .
. राजल बाई के बारे मे कहा जाता है कि उन्होने वही तालाब की पाल पर ही
समाधि ले ली थी . इसलिये उन्हे बुंगरी माता कहा जाता है . . उनका मंदिर
तेजाजी के मंदिर से कुछ ही दूरी पर है . . उसी हाइवे के पास नागौर की और
आते हुए . . . जहां तेजाजी के मेले के कुछ दिन बाद मेला
लगता है . . यह स्थान अनुपम ग्रामीण प्राक्रितिक सौन्दर्य और भाई बहिन के प्यार और समर्पण का प्रतिक है . . .
sambhar- लगता है . . यह स्थान अनुपम ग्रामीण प्राक्रितिक सौन्दर्य और भाई बहिन के प्यार और समर्पण का प्रतिक है . . .
Nagaur Ke Yuva
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